Thursday 18 January 2018

दायित्व और कर्तव्य/ कर्त्तव्य

परिभाषा: 
दायित्व   
  • संबंधों की पहचान सहित मूल्यों का निर्वाह।
  • परस्पर व्यवहार, व्यवसाय एवं व्यवस्थात्मक संबंधों में निहित मूल्यानुभूति सहित शिष्टतापूर्ण निर्वाह।
  • सम्बन्धों में ज़िम्मेदारी स्वीकारना, उत्तरदायित्व का वहन, निष्ठा का बोध।  (स्रोत- परिभाषा संहिता, संस्करण : 2012, मुद्रण: 14 जनवरी 2016, पेज नंबर: 89)  
कर्त्तव्य  
  • उत्पादन कार्य में प्रमाणित होने की प्रक्रिया  और सेवा कार्य सहित उत्पादित वस्तुओं का सदुपयोग प्रायोजित करना।
  • प्रत्येक स्तर में प्राप्त संबंधों एवं सपर्कों और उनमें निहित मूल्य निर्वाह।
  • दायित्व का निर्वाह, पूरा करना।  (स्रोत- परिभाषा संहिता: संस्करण: 2012 : मुद्रण: 2016, पृष्ठ नंबर:55)
अन्य संदर्भ परिभाषा संहिता से (संस्करण : 2012 मुद्रण: 14 जनवरी 2016)
  • कर्त्तव्य बुद्धि - उत्पादन कार्य में कुशलता निपुणता को नियोजित करने की विधि सहज प्रवृत्ति। (पृष्ठ नंबर:55)
  • कर्त्तव्यवादी  - उत्पादन संबंधी व्यवहार को पूरा करने में कटिबद्धता। (पृष्ठ नंबर: 55)
  • कर्त्तव्य निष्ठा
- ''त्व'' सहित व्यवस्था और समग्र व्यवस्था में भागीदारी।
- समृद्धि सम्पन्नता का प्रमाण।
- मानवीयतापूर्ण शिक्षा, संस्कार, आचरण, व्यवहार में निष्ठा। स्वतंत्रता स्वराज्य में निष्ठा।
- उत्तरदायित्व का वहन। (पृष्ठ नंबर: 55)
(दायित्व और कर्तव्य पर बाबा जी के साथ राकेश भैया जी का संवाद )

(दायित्व और कर्त्तव्य को लेकर मध्यस्थ दर्शन वाङ्ग्मय में आये सन्दर्भों को निम्न क्रम से संकलित किया गया है।  नीचे दिये गए प्रत्येक लिंक पर जाकर आप संकलन देख सकते हैं।)


  1. मानव व्यवहार दर्शन 
  2. मानव कर्म दर्शन 
  3. मानव अभ्यास दर्शन
  4. मानव अनुभव दर्शन
  5. समाधानात्मक भौतिकवाद
  6. व्यवहारात्मक जनवाद
  7. अनुभवात्मक अध्यात्मवाद
  8. व्यवहारवादी समाजशास्त्र 
  9. आवर्तनशील अर्थशास्त्र
  10. मानव संचेतनावादी मनोविज्ञान
  11. मानवीय संविधान सूत्र व्याख्या
  12. जीवन विद्या –एक परिचय 
  13. विकल्प  
  14. जीवन विद्या- अध्ययन बिन्दु  
  15. संवाद- 1  
  16. संवाद-2
नोट- (सभी संदर्भ संबन्धित वाङ्ग्मयों के PDF से लिए गए हैं कोई भी अंतर होने पर कृपया मूल वाङ्ग्मय को ही सही माना जाए। ) 


स्त्रोत: अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद)
प्रणेता -  श्रद्धेय श्री ए. नागराज

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