Tuesday 19 September 2017

शिक्षा - संदर्भ: मानवीय आचरण सूत्र

मानवीय आचरण सूत्र (अध्याय:, संस्करण:  , पेज नंबर:) (युनिकोड से प्राप्त)
  • समझदारी का वैभव सुख, समाधान, समृद्धि, परस्परता में विश्वास और नित्य उत्सव होता ही रहता है।  इसके लिए समझदारी, बौद्धिक प्रयोग, विवेकपूर्वक तथा समाधान, समृद्धि, अभय, सह अस्तित्व प्रमाणित होने की विधि से सर्व मानव सुखी होते हैं। इसका प्रयोग न्याय व समाधानपूर्वक-सार्थक सुखी होना पाया जाता है। धन का प्रयोग उदारतापूर्वक करने से सार्थक सुखी होते हैं। बल का प्रयोग दया के साथ जीने देने के रूप में सार्थक होता है। रूप के साथ सच्चरित्रता, यथा - स्व-धन, स्व-नारी, स्व-पुरुष, दयापूर्वक कार्य-व्यवहार विचार से ही सार्थक सुखी होना होता है। यह सर्व शुभ होने की विधि है जो लोक-शिक्षा और शिक्षा-संस्कार पूर्वक सार्थक होता है।
  • मानवीय-शिक्षा-संस्कार प्रमाणमूलक होना समाधान है।
  • मानवत्व शिक्षा संस्कार का सूत्र है।
  • मानवीय शिक्षा-संस्कार का प्रमाण मानवत्व है।
  • माानवीय शिक्षा संस्कार ही जागृत परम्परा में, से, के लिये सार्थक सूत्र व्याख्या है।
  • ज्ञान-विज्ञान-विवेक पूर्ण शिक्षा संस्कार ही मानवत्व है।
  • मानवीय शिक्षा-संस्कार का दायित्व-कर्तव्य परिवार-सभा से विश्व पारिवार-सभा में दायित्व-कर्तव्य रूप में निहित रहता है। इसका निर्वाह योग्य होना मानवीयता है। 
  • शिक्षा-संस्कार सर्वतोमुखी समाधानकारी ज्ञान-विज्ञान-विवेक सम्पन होने का प्रमाण मानवत्व है। यह परम्परा का कर्तव्य हर मानव सन्तान का अधिकार है। यह मानवत्व है।
  • जागृत शिक्षा परम्परा अखण्ड सार्वभौम व्यवस्था के अर्थ में सम्पन्न होना मानवत्व है।
  • अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिन्तन ही ‘मध्यस्थ दर्शन’ सह-अस्तित्ववाद है। इस पर शिक्षा संस्कार में सह-अस्तित्व रूपी अस्तित्व दर्शन ज्ञान बोध, जीवन ज्ञान बोध, मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान बोध परम्परा होना मानवत्व है।
  • शिक्षा में, से, के लिये व्यापक वस्तु रूपी ऊर्जा में सम्पूर्ण एक-एक वस्तु सम्पृक्त नित्य वर्तमान क्रियाशील विकास क्रम, विकास, जागृति क्रम, जागृति के रूप में होने की अवधारणा समाहित अनुभव सम्पन्न रहना मानवत्व है।
  • सह-अस्तित्ववादी शिक्षा संस्कार में प्रत्येक एक अपने-अपने ‘त्व’ सहित व्यवस्था है। समग्र व्यवस्था में भागीदारी करने का अध्ययन मानवत्व है।
  • मानवीय शिक्षा-संस्कार में सह-अस्तित्व नित्य प्रमाण होने का बोध सम्पन्न होना, करना-कराना, करने के लिये सहमत होना मानवत्व है।
  • शिक्षा में मानवत्व का बोध होना सर्व मानव सन्तान में, से, के लिये मौलिक अधिकार है। यह मानवत्व है। 

स्त्रोत: अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित चिंतन सहज मध्यस्थ दर्शन (सहअस्तित्ववाद)
प्रणेता -  श्रद्धेय श्री ए. नागराज 

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